दिल कि आवाज़
मेरी सुबह तेरी मुरीद है मेरी शाम तेरे ही नाम से
तुम्हारे दर छोड़ दूँगा मैं ये ख़याल दिल से निकल दे
मेरी सुबह तेरी मुरीद है मेरी शाम तेरे ही नाम से
तुम्हारे दर छोड़ दूँगा मैं ये ख़याल दिल से निकल दे
Posted by Rafiquzzama at 7:51 AM
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