चेहरे बदलने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दरद दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ , बेहता ही रहा ,
तूफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं
रफ़ीक तुम जानते ही नही
किसी से बहाने करने का हुनर मुझमे नही
Friday, July 13, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment