Monday, April 30, 2007

मेरी दास्ताँ हसरत वो सुना सुना कर रोये ,
मेरे आजमाने वाले मुझे आजमा कर रोये ,
कोई ऐसा अहल -ए -दिल हो क फ़साना मोहब्बत ,
मैं उससे सुना कर रोऊँ वो मुझे सुना कर रोये ,
मेरे पास से गुज़र गया मेरा हाल तक ना पूछा ,
मैं यह कैसे मान जून के वो दूर जा कर रोये ,
तेरी बेवाफैयों पर तेरी कुजरयिओं पर ,
कभी सिर झुका कर कभी मुह छुपा कर रोये ,
मेरी आरजू कि दुनिया दिल -ए -नातावन कि हसरत ,
जिसे खो कर षड्मन थे उससे आज पा कर रोये ,
जो सुनायी अंजुमन में शबे -ए -घम कि बीती ,
कई रो कर मुस्कुराये कयी मुस्कुरा कर रोये ॥!!!

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