मेरी दास्ताँ हसरत वो सुना सुना कर रोये ,
मेरे आजमाने वाले मुझे आजमा कर रोये ,
कोई ऐसा अहल -ए -दिल हो क फ़साना मोहब्बत ,
मैं उससे सुना कर रोऊँ वो मुझे सुना कर रोये ,
मेरे पास से गुज़र गया मेरा हाल तक ना पूछा ,
मैं यह कैसे मान जून के वो दूर जा कर रोये ,
तेरी बेवाफैयों पर तेरी कुजरयिओं पर ,
कभी सिर झुका कर कभी मुह छुपा कर रोये ,
मेरी आरजू कि दुनिया दिल -ए -नातावन कि हसरत ,
जिसे खो कर षड्मन थे उससे आज पा कर रोये ,
जो सुनायी अंजुमन में शबे -ए -घम कि बीती ,
कई रो कर मुस्कुराये कयी मुस्कुरा कर रोये ॥!!!
Monday, April 30, 2007
Sunday, April 29, 2007
दिल मैं हमारी याद रखना
चेह्रय पर मुस्कराहट रखना
कभी कोई हरा ना सके
ऐसा अपना मुकाम रखना
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Rafiquzzama
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6:33 AM
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Friday, April 27, 2007
राजनीती
सोचता हूँ कि उत्तर प्रदेश कि राजनिती भी बिल्कुल ही अलग ही है कभी उथल पुथल तो कभी स्थिरता तो कभी कुछ भी नन्हीं
Posted by
Rafiquzzama
at
12:23 AM
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